Sindhu ghati Sabhyata (2600 BCE to 1900 BCE)
Introdunction:-
* भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता से प्रारंभ होता है जिसे हम हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जानते हैं।
* यह सभ्यता लगभग 2500 ईस्वी पूर्व दक्षिण एशिया के पश्चिमी भाग मैं फैली हुई थी,जो कि वर्तमान में पाकिस्तान तथा पश्चिमी भारत के नाम से जाना जाता है।
*सिंधु घाटी सभ्यता मिस्र,मेसोपोटामिया,भारत और चीन की चार सबसे बड़ी प्राचीन नगरीय सभ्यताओं से भी अधिक उन्नत थी।
*1920 में, भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा किये गए सिंधु घाटी के उत्खनन से प्राप्त अवशेषों से हड़प्पा तथा मोहनजोदडो जैसे दो प्राचीन नगरों की खोज हुई।
*भारतीय पुरातत्त्व विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल जॉन मार्शल ने सन 1924 में सिंधु घाटी में एक नई सभ्यता की खोज की घोषणा की।
Important Nagar :-
सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल निम्न है
- हड़प्पा (पंजाब पाकिस्तान)
- मोहेनजोदड़ो (सिन्ध पाकिस्तान लरकाना जिला)
- लोथल,रंगपुर,धौलाविरा (गुजरात)
- कालीबंगा( राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में)
- बनवाली (हरियाणा के फतेहाबाद जनपद में)
- आलमगीरपुर( उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में)
- सूत कांगे डोर( पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त में)
- कोट दीजी( सिन्ध पाकिस्तान)
- चन्हूदड़ो ( पाकिस्तान )
- सुरकोटदा (गुजरात के कच्छ जिले में)
Place of sindhu ghati :-
भारत के विभिन्न राज्यों में सिन्धु घाटी सभ्यता के निम्न शहर है:- गुजरात
- Lothal
- सुरकोटडा
- Rangpur
- रोजी
- मालवद
- देसूल
- Ghotabira
- प्रभातपट्टन
- भगतराव
हरियाणा
- Rakhigadh
- बनावली
- कुणाल
- मीताथल
पंजाब
- रोपड़ (पंजाब)
- बाड़ा
- संघोंल (जिला फतेहगढ़, पंजाब)
महाराष्ट्र
- दायमाबाद।
- बनावली
- कुणाल
- मीताथल
महाराष्ट्र
- महाराष्ट्राबाद।
राजस्थान
- कालीबंगा
Rajsthan में kalibanga स्थान पर सिंधु सभ्यता के अवशेष हुए हैं। यह Sraswati river के किनारे स्थित है यहाँ पर पत्थर के Moti, मिट्टी की चूड़ियाँ, मिट्टी के बर्तन, स्नानागार, कुएँ, Aganikund प्राप्त हुए है।
जम्मू कश्मीर
- माण्डा
Nagar Nirmad Process :-
इस सभ्यता की सबसे विशेष बात थी की यहाँ विकसित नगर निर्माण योजना। हड़प्पा तथा मोहन् जोदड़ो दोनो नगरों के अपने दुर्ग थे जहाँ शासक वर्ग का परिवार रहता था। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर एक उससे निम्न स्तर का शहर था जहाँ ईंटों के मकानों में सामान्य लोग रहते थे। इन नगर भवनों के बारे में विशेष बात ये थी कि ये जाल की तरह विन्यस्त थे। यानि सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटती थीं और नगर अनेक आयताकार खण्डों में विभक्त हो जाता था। ये बात सभी सिन्धु बस्तियों पर लागू होती थीं चाहे वे छोटी हों या बड़ी। हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो के भवन बड़े होते थे। वहाँ के स्मारक इस बात के प्रमाण हैं कि वहाँ के शासक मजदूर जुटाने और कर-संग्रह में परम कुशल थे। ईंटों की बड़ी-बड़ी इमारत देख कर सामान्य लोगों को भी यह लगेगा कि ये शासक कितने प्रतापी और प्रतिष्ठावान थे।