Wednesday, 13 August 2025

Seperation method of Glucose in Sugarcane using HPLC || HPLC का उपयोग करके गन्ने से ग्लूकोज को अलग करने का तरीका

 गन्ने में मौजूद ग्लूकोज (glucose) की मात्रा का विश्लेषण करने के लिए LC-MS एक बहुत ही प्रभावी तरीका है। यह तकनीक दो प्रमुख चरणों में काम करती है: पहले सैंपल में से ग्लूकोज को अलग किया जाता है और फिर उसकी पहचान और मात्रा का पता लगाया जाता है।


आइए, इस पूरी प्रक्रिया को चरण-दर-चरण समझते हैं:


1. सैंपल की तैयारी (Sample Preparation):-

                                            सबसे पहले, गन्ने के रस या गूदे (pulp) से ग्लूकोज को निकालने के लिए सैंपल को तैयार किया जाता है।


गन्ने के रस से LC-MS सैंपल तैयार करने की विधि:-

 

चरण 1: रस निकालना और प्रारंभिक उपचार (Initial Treatment)

  1. गन्ने का रस निकालें: सबसे पहले, ताजे गन्ने को अच्छी तरह से धोकर साफ करें। फिर इसे जूसर या पेराई मशीन से निकालकर उसका रस इकट्ठा करें।
  2. फिल्टर करें: रस में गन्ने के छोटे-छोटे टुकड़े या रेशे (fibers) हो सकते हैं। इन्हें हटाने के लिए, रस को एक महीन जाली (जैसे cheesecloth) या साधारण फिल्टर पेपर से छान लें।

​चरण 2: प्रोटीन और अन्य बड़े अणुओं को हटाना (Deproteination)

​गन्ने के रस में प्रोटीन और अन्य बड़े जैविक अणु होते हैं जो LC-MS कॉलम को नुकसान पहुँचा सकते हैं या विश्लेषण में बाधा डाल सकते हैं। इन्हें हटाना बहुत ज़रूरी है।

  1. अवक्षेपण (Precipitation): सैंपल को ठंडा करने के लिए इसे बर्फ पर रखें। फिर इसमें एक उपयुक्त अवक्षेपण एजेंट (precipitating agent) जैसे एसिटोनाइट्राइल (acetonitrile), मेथेनॉल (methanol) या ज़िंक सल्फेट (zinc sulfate) का एक विशिष्ट अनुपात में मिश्रण मिलाएँ। एसिटोनाइट्राइल सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होता है।
    • उदाहरण: एक निश्चित मात्रा में गन्ने का रस लें और उसमें 2 से 3 गुना ज़्यादा एसिटोनाइट्राइल धीरे-धीरे मिलाएँ।
  2. मिश्रण और ऊष्मायन (Mixing and Incubation): मिश्रण को अच्छी तरह से हिलाएँ और इसे कुछ मिनटों के लिए (जैसे 5-10 मिनट) कमरे के तापमान पर या ठंडी जगह पर रखें। इससे प्रोटीन और अन्य अवांछित पदार्थ अवक्षेपित (precipitate) होकर ठोस रूप में बदल जाते हैं।
  3. अपकेंद्रीकरण (Centrifugation): इस मिश्रण को सेंट्रीफ्यूज मशीन (centrifuge machine) में डालें और इसे तेज गति (जैसे 10,000 rpm) पर 10-15 मिनट तक घुमाएँ। अपकेंद्रीकरण के बाद, ठोस अवक्षेप ट्यूब के नीचे बैठ जाएगा और ऊपर एक साफ तरल (supernatant) बचेगा।

​चरण 3: आगे की सफाई और सांद्रण (Further Clean-up and Concentration)

  1. सुपरनेटेंट इकट्ठा करें: सेंट्रीफ्यूज के बाद मिले साफ तरल (supernatant) को बहुत सावधानी से एक नई साफ ट्यूब में निकाल लें। इस चरण में, ठोस अवक्षेप को गलती से नहीं लेना चाहिए।
  2. विलायक को वाष्पित करना (Evaporation): अगर सैंपल को ज़्यादा सांद्र (concentrated) करने की आवश्यकता है, तो इसे रोटरी इवैपोरेटर (rotary evaporator) या नाइट्रोजन गैस के प्रवाह का उपयोग करके वाष्पित करें। यह प्रक्रिया बहुत सावधानी से करनी चाहिए ताकि नमूने में मौजूद यौगिकों को नुकसान न पहुँचे।
  3. पुनर्गठन (Reconstitution): वाष्पीकरण के बाद बचे हुए सूखे अवशेष (dry residue) को LC-MS के लिए उपयुक्त एक छोटे आयतन वाले विलायक (जैसे एसिटोनाइट्राइल और पानी का मिश्रण) में फिर से घोल लें।

​चरण 4: अंतिम फिल्ट्रेशन (Final Filtration)

  1. माइक्रोफिल्टर से छानना: LC-MS में इंजेक्ट करने से पहले, सैंपल को 0.22 माइक्रोन (micron) या 0.45 माइक्रोन के सिरिंज फिल्टर (syringe filter) से छानना बहुत ज़रूरी है। यह अंतिम चरण किसी भी बहुत छोटे कणों को हटा देता है जो LC कॉलम को बंद कर सकते हैं।

​चरण 5: LC-MS में इंजेक्शन

  1. ऑटोसेम्पलर में लोड करें: अब आपका सैंपल LC-MS विश्लेषण के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसे एक छोटे शीशे के वायल (vial) में भरें और LC-MS उपकरण के ऑटोसेम्पलर (autosampler) में रख दें।


2. लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (LC) द्वारा पृथक्करण :-

                                       अब तैयार किए गए सैंपल को लिक्विड क्रोमैटोग्राफी (LC) उपकरण में इंजेक्ट किया जाता है।

A) कॉलम (Column):- ​LC सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कॉलम होता है। इस कॉलम के अंदर एक ठोस पदार्थ भरा होता है, जिसे स्टेशनरी फेज (stationary phase) कहते हैं। शर्करा के विश्लेषण के लिए, अक्सर एक ऐसा स्टेशनरी फेज इस्तेमाल किया जाता है जो शर्करा के अणुओं के साथ अलग-अलग तरह से इंटरैक्ट कर सके।

  • अमीनो कॉलम (Amino Column) या HILIC (Hydrophilic Interaction Liquid Chromatography) जैसे कॉलम अक्सर शर्करा के लिए उपयोग किए जाते हैं। इनका सिद्धांत यह है कि ये पानी-पसंद (hydrophilic) अणुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

B) मोबाइल फेज (Mobile Phase): एक तरल पदार्थ (जैसे, एसिटोनाइट्राइल और पानी का मिश्रण) मोबाइल फेज के रूप में काम करता है, जो सैंपल को कॉलम से होकर गुजारता है।

C) ग्लूकोज का अलग होना: जब सैंपल कॉलम से गुजरता है, तो ग्लूकोज और अन्य शर्करा (जैसे सुक्रोज और फ्रक्टोज) अपने अलग-अलग रासायनिक गुणों के कारण कॉलम में अलग-अलग समय पर रुकते हैं और बाहर निकलते हैं। इस प्रक्रिया से ग्लूकोज अन्य घटकों से अलग हो जाता है।


3. मास स्पेक्ट्रोमेट्री (MS) द्वारा विश्लेषण:-

                                         जब ग्लूकोज LC कॉलम से बाहर निकलता है, तो यह सीधे मास स्पेक्ट्रोमीटर (MS) के इंटरफ़ेस में जाता है।

A) आयनीकरण (Ionization): इंटरफ़ेस में, ग्लूकोज के अणुओं को आयनित (charged particles में बदलना) किया जाता है। ESI (Electrospray Ionization) जैसी तकनीक इस काम के लिए बहुत उपयोगी होती है।

B) द्रव्यमान-से-चार्ज अनुपात (m/z) का मापन: मास स्पेक्ट्रोमीटर इन आयनों को उनके द्रव्यमान-से-चार्ज अनुपात (m/z) के आधार पर अलग करता है। ग्लूकोज का एक विशिष्ट m/z अनुपात होता है, जिसके आधार पर इसे आसानी से पहचाना जा सकता है।

C) मात्रा का पता लगाना: MS उपकरण में एक डिटेक्टर होता है, जो हर आयन की मात्रा को मापता है। जितनी अधिक मात्रा में आयन डिटेक्टर तक पहुँचते हैं, उतनी ही अधिक ग्लूकोज की मात्रा सैंपल में मौजूद होती है।


Seperation method of Glucose in Sugarcane using HPLC || HPLC का उपयोग करके गन्ने से ग्लूकोज को अलग करने का तरीका

 गन्ने में मौजूद ग्लूकोज (glucose) की मात्रा का विश्लेषण करने के लिए LC-MS एक बहुत ही प्रभावी तरीका है। यह तकनीक दो प्रमुख चरणों में काम करत...